हिंदी ग़ज़ल शायरी | 35+ Elevate Unique Rahat Indori Hindi Ghazal Shayari For Instagram and Whatsapp , is Page Me apko Dr Rahat Indori Shayar Ki Wo Sabhi ghazals Read Krne Ko Mil Jaygi,
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हिंदी ग़ज़ल शायरी | 35+ Elevate Unique Rahat Indori Hindi Ghazal Shayari For Instagram and Whatsapp
Hindi Ghazal Shayari by Rahat Indori Ghazals
Bulati hai magar jane ka nahi / rahat Indori Ghazals
बुलाती है मगर जाने का नईं ये दुनिया है इधर जाने का नईं मेरे बेटे किसी से इश्क़ करमगर हद से गुजर जाने का नईं सितारें नोच कर ले जाऊँगामैं खाली हाथ घर जाने का नईं वबा फैली हुई है हर तरफअभी माहौल मर जाने का नईं वो गर्दन नापता है नाप लेमगर जालिम से डर जाने का नईं
Jo Mera Mera Dost Bhi Hai, Mera Hamnawa Bhi Hai
Ghazals by Dr rahat Indori
जो मेरा दोस्त भी है, मेरा हमनवा भी हैवो शख्स, सिर्फ भला ही नहीं, बुरा भी है मैं पूजता हूँ जिसे, उससे बेनियाज़ भी हूँमेरी नज़र में वो पत्थर भी है खुदा भी है सवाल नींद का होता तो कोई बात ना थीहमारे सामने ख्वाबों का मसअला भी है जवाब दे ना सका, और बन गया दुश्मनसवाल था, के तेरे घर में आईना भी है ज़रूर वो मेरे बारे में राय दे लेकिनये पूछ लेना कभी मुझसे वो मिला भी है
Mom Ke Paas kabhi Aag Ko Lake Dekhu
Ghazals by Dr rahat Indori Shayar
मोम के पास कभी आग को लाकर देखूँसोचता हूँ के तुझे हाथ लगा कर देखूँ कभी चुपके से चला आऊँ तेरी खिलवत मेंऔर तुझे तेरी निगाहों से बचा कर देखूँ मैने देखा है ज़माने को शराबें पी करदम निकल जाये अगर होश में आकर देखूँ दिल का मंदिर बड़ा वीरान नज़र आता हैसोचता हूँ तेरी तस्वीर लगा कर देखूँ तेरे बारे में सुना ये है के तू सूरज हैमैं ज़रा देर तेरे साये में आ कर देखूँ याद आता है के पहले भी कई बार यूं हीमैने सोचा था के मैं तुझको भुला कर देखूँ
Ye Hadsa To Kisi Din Guzarne Vala Tha
Dr rahat Indori Shayar Ghazals
ये हादसा तो किसी दिन गुज़रने वाला थामैं बच भी जाता तो इक रोज़ मरने वाला था तेरे सलूक तेरी आगही की उम्र दराज़मेरे अज़ीज़ मेरा ज़ख़्म भरने वाला था बुलंदियों का नशा टूट कर बिखरने लगामेरा जहाज़ ज़मीन पर उतरने वाला था मेरा नसीब मेरे हाथ काट गए वर्नामैं तेरी माँग में सिंदूर भरने वाला था मेरे चिराग मेरी शब मेरी मुंडेरें हैंमैं कब शरीर हवाओं से डरने वाला था
Roz Taro Ko Numaish Me Khalal Padta Hai
Dr rahat Indori Shayari Ghazals
रोज़ तारों को नुमाइश में खलल पड़ता हैं चाँद पागल हैं अंधेरे में निकल पड़ता हैं मैं समंदर हूँ कुल्हाड़ी से नहीं कट सकताकोई फव्वारा नही हूँ जो उबल पड़ता हैं कल वहाँ चाँद उगा करते थे हर आहट परअपने रास्ते में जो वीरान महल पड़ता हैं ना त-आरूफ़ ना त-अल्लुक हैं मगर दिल अक्सरनाम सुनता हैं तुम्हारा तो उछल पड़ता हैं उसकी याद आई हैं साँसों ज़रा धीरे चलोधड़कनो से भी इबादत में खलल पड़ता हैं
Wafa ko aazmana chaiye tha
Rahat Indori Poetry
वफ़ा को आज़माना चाहिए था, हमारा दिल दुखाना चाहिए थाआना न आना मेरी मर्ज़ी है, तुमको तो बुलाना चाहिए था हमारी ख्वाहिश एक घर की थी, उसे सारा ज़माना चाहिए थामेरी आँखें कहाँ नाम हुई थीं, समुन्दर को बहाना चाहिए था जहाँ पर पंहुचना मैं चाहता हूँ, वहां पे पंहुच जाना चाहिए थाहमारा ज़ख्म पुराना बहुत है, चरागर भी पुराना चाहिए था मुझसे पहले वो किसी और की थी, मगर कुछ शायराना चाहिए थाचलो माना ये छोटी बात है, पर तुम्हें सब कुछ बताना चाहिए था तेरा भी शहर में कोई नहीं था, मुझे भी एक ठिकाना चाहिए थाकि किस को किस तरह से भूलते हैं, तुम्हें मुझको सिखाना चाहिए था
Wafa Ko aazmana chaiye Tha / Rahat Indori Poetry
ऐसा लगता है लहू में हमको, कलम को भी डुबाना चाहिए थाअब मेरे साथ रह के तंज़ ना कर, तुझे जाना था जाना चाहिए था क्या बस मैंने ही की है बेवफाई,जो भी सच है बताना चाहिए थामेरी बर्बादी पे वो चाहता है, मुझे भी मुस्कुराना चाहिए था बस एक तू ही मेरे साथ में है, तुझे भी रूठ जाना चाहिए थाहमारे पास जो ये फन है मियां, हमें इस से कमाना चाहिए था।
अब ये ताज किस काम का है, हमें सर को बचाना चाहिए थाउसी को याद रखा उम्र भर कि, जिसको भूल जाना चाहिए था मुझसे बात भी करनी थी, उसको गले से भी लगाना चाहिए थाउसने प्यार से बुलाया था, हमें मर के भी आना चाहिए था
Sar Par Bojh Andhiyari Ka Hai Moa Khair
Rahat Indori Poetry in hindi
सर पर बोझ अँधियारों का है मौला खैरऔर सफ़र कोहसारों का है मौला खैर दुशमन से तो टक्कर ली है सौ-सौ बारसामना अबके यारों का है मौला खैर इस दुनिया में तेरे बाद मेरे सर परसाया रिश्तेदारों का है मौला खैर दुनिया से बाहर भी निकलकर देख चुकेसब कुछ दुनियादारों का है मौला खैर और क़यामत मेरे चराग़ों पर टूटीझगड़ा चाँद-सितारों का है मौला खैर
Sula Chuki Thi Ye Duniya Thapak Thapak Ke Mujhe
Rahat Indori Poetry in Urdu
सुला चुकी थी ये दुनिया थपक थपक के मुझेजगा दिया तेरी पाज़ेब ने खनक के मुझे कोई बताये के मैं इसका क्या इलाज करूँपरेशां करता है ये दिल धड़क धड़क के मुझे ताल्लुकात में कैसे दरार पड़ती हैदिखा दिया किसी कमज़र्फ ने छलक के मुझे हमें खुद अपने सितारे तलाशने होंगेये एक जुगनू ने समझा दिया चमक के मुझे बहुत सी नज़रें हमारी तरफ हैं
महफ़िल मेंइशारा कर दिया उसने ज़रा सरक के मुझे मैं देर रात गए जब भी घर पहुँचता हूँ वो देखती है बहुत छान के फटक के मुझे
Hava Khud Ab Ke Hawa Ke Khilaf Hai Jani
Rahat Indori Ghazals Lyrics
हवा खुद अब के हवा के खिलाफ है, जानीदिए जलाओ के मैदान साफ़ है, जानी हमे चमकती हुई सर्दियों का खौफ नहींहमारे पास पुराना लिहाफ है, जानी वफ़ा का नाम यहाँ हो चूका बहुत बदनाममैं बेवफा हूँ मुझे ऐतराफ है, जानी है अपने रिश्तों की बुनियाद जिन शरायत परवहीँ से तेरा मेरा इख्तिलाफ है,
जानी वो मेरी पीठ में खंज़र उतार सकता हैके जंग में तो सभी कुछ मुआफ है, जानी मैं जाहिलों में भी लहजा बदल नहीं सकतामेरी असास यही शीन-काफ है, जानी
Ungliya Youn Na Sab Pe Uthaya Karo
BY
Rahat Indori Shayar
उँगलियाँ यूँ न सब पर उठाया करो खर्च करने से पहले कमाया करो ज़िन्दगी क्या है खुद ही समझ जाओगेबारिशों में पतंगें उड़ाया करो दोस्तों से मुलाक़ात के नाम पर नीम की पत्तियों को चबाया करो शाम के बाद जब तुम सहर देख लो कुछ फ़क़ीरों को खाना खिलाया करो अपने सीने में दो गज़ ज़मीं बाँधकर आसमानों का ज़र्फ़ आज़माया करो चाँद सूरज कहाँ, अपनी मंज़िल कहाँऐसे वैसों को मुँह मत लगाया करो
Purane Shehro Ke Manjar Nikalne Lagte Hai
Rahatindorishayari.com
पुराने शहरों के मंज़र निकलने लगते हैं ज़मीं जहाँ भी खुले घर निकलने लगते हैं मैं खोलता हूँ सदफ़ मोतियों के चक्कर में मगर यहाँ भी समन्दर निकलने लगते हैं हसीन लगते हैं जाड़ों में सुबह के मंज़र सितारे धूप पहनकर निकलने लगते हैं बुरे दिनों से बचाना मुझे मेरे मौलाक़रीबी दोस्त भी बचकर निकलने लगते हैं
बुलन्दियों का तसव्वुर भी ख़ूब होता है कभी कभी तो मेरे पर निकलने लगते हैं अगर ख़्याल भी आए कि तुझको ख़त लिक्खूँ तो घोंसलों से कबूतर निकलने लगते हैं
Log Har Mod Pe By Rahat Indori Shayar
Rahat Indori Shayari in hindi
लोग हर मोड़ पे रुक-रुक के संभलते क्यों हैंइतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यों हैं मैं न जुगनू हूँ, दिया हूँ न कोई तारा हूँरोशनी वाले मेरे नाम से जलते क्यों हैं नींद से मेरा त’अल्लुक़ ही नहीं बरसों सेख्वाब आ आ के मेरी छत पे टहलते क्यों हैं मोड़ होता है जवानी का संभलने के लिएऔर सब लोग यहीं आके फिसलते क्यों हैं
Dosti jab kisi se ki jay
rahat indori ghazals in hindi
दोस्ती जब किसी से की जाये| दुश्मनों की भी राय ली जाये| मौत का ज़हर है फ़िज़ाओं में, अब कहाँ जा के साँस ली जाये| बस इसी सोच में हूँ डूबा हुआ, ये नदी कैसे पार की जाये| मेरे माज़ी के ज़ख़्म भरने लगे, आज फिर कोई भूल की जाये| बोतलें खोल के तो पी बरसों, आज दिल खोल के भी पी जाये|
Uski Khathai aankho Me Hai Jantar Mantar
Dr. Rahat indori Shayar sahab
उसकी कत्थई आँखों में हैं जंतर-मंतर सबचाक़ू-वाक़ू, छुरियाँ-वुरियाँ, ख़ंजर-वंजर सब जिस दिन से तुम रूठीं मुझ से रूठे-रूठे हैंचादर-वादर, तकिया-वकिया, बिस्तर-विस्तर सब मुझसे बिछड़ कर वह भी कहाँ अब पहले जैसी हैफीके पड़ गए कपड़े-वपड़े, ज़ेवर-वेवर सब आखिर मै किस दिन डूबूँगा फ़िक्रें करते हैकश्ती-वश्ती, दरिया-वरिया लंगर-वंगर सब
Bimar Ko Marz Ki Dava Deni Chaiye
Dr. Rahat indori Shayar sahab
बीमार को मर्ज़ की दवा देनी चाहिएवो पीना चाहता है पिला देनी चाहिए अल्लाह बरकतों से नवाज़ेगा इश्क़ मेंहै जितनी पूँजी पास लगा देनी चाहिए ये दिल किसी फ़कीर के हुज़रे से कम नहींये दुनिया यही पे लाके छुपा देनी चाहिए मैं फूल हूँ तो फूल को गुलदान हो नसीबमैं आग हूँ तो आग बुझा देनी चाहिए मैं ख़्वाब हूँ तो ख़्वाब से चौंकाईये मुझेमैं नीद हूँ तो नींद उड़ा देनी चाहिए मैं जब्र हूँ तो जब्र की ताईद बंद,
होमैं सब्र हूँ तो मुझ को दुआ देनी चाहिए मैं ताज हूँ तो ताज को सर पे सजायें लोगमैं ख़ाक हूँ तो ख़ाक उड़ा देनी चाहिए सच बात कौन है जो सरे-आम कह सकेमैं कह रहा हूँ मुझको सजा देनी चाहिए सौदा यही पे होता है हिन्दोस्तान कासंसद भवन में आग लगा देनी चाहिए
Dil Me Aag Lab Pe Gulab Rakhte Hai.
Dr. Rahat indori Shayar sahab
दिलों में आग लबों पर गुलाब रखते हैंसब अपने चेहरों पे दोहरी नका़ब रखते हैं हमें चराग समझ कर बुझा न पाओगेहम अपने घर में कई आफ़ताब रखते हैं बहुत से लोग कि जो हर्फ़-आश्ना भी नहींइसी में खुश हैं कि तेरी किताब रखते हैं ये मैकदा है, वो मस्जिद है, वो है बुत-खानाकहीं भी जाओ फ़रिश्ते हिसाब रखते हैं हमारे शहर के मंजर न देख पायेंगेयहाँ के लोग तो आँखों में ख्वाब रखते हैं
Apne Hone Ka Ham Is Tareh Pata Dete The
Dr. Rahat indori Shayar sahab
दिलों में आग लबों पर गुलाब रखते हैंसब अपने चेहरों पे दोहरी नका़ब रखते हैं हमें चराग समझ कर बुझा न पाओगेहम अपने घर में कई आफ़ताब रखते हैं बहुत से लोग कि जो हर्फ़-आश्ना भी नहींइसी में खुश हैं कि तेरी किताब रखते हैं ये मैकदा है, वो मस्जिद है, वो है बुत-खानाकहीं भी जाओ फ़रिश्ते हिसाब रखते हैं हमारे शहर के मंजर न देख पायेंगेयहाँ के लोग तो आँखों में ख्वाब रखते हैं
Jhuti bulandiyon ka dhuna paar kar ke aa
Dr. Rahat indori Shayar sahab
झूठी बुलंदियों का धुँआ पार कर के आक़द नापना है मेरा तो छत से उतर के आ इस पार मुंतज़िर हैं तेरी खुश-नसीबियाँलेकिन ये शर्त है कि नदी पार कर के आ कुछ दूर मैं भी दोशे-हवा पर सफर करूँकुछ दूर तू भी खाक की सुरत बिखर के आ मैं धूल में अटा हूँ मगर तुझको क्या हुआआईना देख जा ज़रा घर जा सँवर के आ सोने का रथ फ़क़ीर के घर तक न आयेगाकुछ माँगना है हमसे तो पैदल उतर के आ
Dhokha Muje Diye Pe Aftab Ka
Dr. Rahat indori Shayar sahab
धोका मुझे दिये पे हुआ आफ़ताब काज़िक्रे-शराब में भी है नशा शराब का जी चाहता है बस उसे पढ़ते ही जायेंचेहरा है या वर्क है खुदा की किताब का सूरजमुखी के फूल से शायद पता चलेमुँह जाने किसने चूम लिया आफ़ताब का मिट्टी तुझे सलाम की तेरे ही फ़ैज़ सेआँगन में लहलहाता है पौधा गुलाब का उठो ऐ चाँद-तारों ऐ शब के सिपाहियोंआवाज दे रहा है लहू आफ़ताब का
Harek chehre ko jakhmo ka aaina na kaho…
Dr. Rahat indori Shayar sahab
धोका मुझे दिये पे हुआ आफ़ताब काज़िक्रे-शराब में भी है नशा शराब का जी चाहता है बस उसे पढ़ते ही जायेंचेहरा है या वर्क है खुदा की किताब का सूरजमुखी के फूल से शायद पता चलेमुँह जाने किसने चूम लिया आफ़ताब का मिट्टी तुझे सलाम की तेरे ही फ़ैज़ सेआँगन में लहलहाता है पौधा गुलाब का उठो ऐ चाँद-तारों ऐ शब के सिपाहियोंआवाज दे रहा है लहू आफ़ताब का